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लेखनी प्रतियोगिता -23-Dec-2022


थाम जो लेते मेरा तुम हाथ स्वामी
सफर जीवन का मेरे मुश्किल न होता

मैं तो बस छाया तुम्हारी
इस जगत में बोझ  हूँ
क्या पता व्यक्तित्व हूँ भी
या महज एक सोच हूँ।
जो ये सच पहले पता होता मुझे तो
मन मेरा ऐसा कभी पंकिल न होता।


मैंने जो आंसू अंधेरों में बहाए
तुमने उनके दीप राहों में जलाए
सूर्य बनकर साथ दिन भर तुम चले
फिर चांद बनकर रात मेरे साथ आये
जो सितारे तुम न राहों में बिछाते
रास्ता मेरा कभी झिलमिल न होता।

दो निवाले भोग लेकर
मुझको जीवन भर खिलाया
साथ तो तुमने निभाया
मैंने तो बस आजमाया।
और मैं क्या दूं तुम्हे तुम
लो मेरा अभिमान ले लो
ये मेरा मन भी सम्हालो
मुझसे इतना दान ले लो
सौंप देता जो ये मन पहले ही तुमको
तो मेरा मन आज यूं बोझिल न होता ।।




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4 Comments

Sachin dev

24-Dec-2022 06:35 PM

Amazing

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Anshumandwivedi426

24-Dec-2022 10:28 PM

हृदयतल से धन्यवाद आभार

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Renu

24-Dec-2022 08:02 AM

Very nice 👍🌺

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